चार बातें कहनी थीं तुमसे जिनमे से दो अब यादों की अलगनी पर भीगी सूख रहीं है! चार बातें कहनी थीं तुमसे जिनमे से दो अब यादों की अलगनी पर भीगी सूख रहीं है!
होते एक-दूजे के जज़्बात होते एक-दूजे के जज़्बात
कुछ अनकही बातें तो कुछ अनकहा प्यार सा था कुछ अनकही बातें तो कुछ अनकहा प्यार सा था
कुछ बातें कुछ कही सी, कुछ अनकही सी। कुछ बातें कुछ कही सी, कुछ अनकही सी।
कभी तू जिंदगी बन मुस्करा कर कुछ कहती रहीमैं बिना सुने दर्द की तरह घसीटता रहा कभी तू जिंदगी बन मुस्करा कर कुछ कहती रहीमैं बिना सुने दर्द की तरह घसीटता रहा
एक अनकही... एक अनकही...